मतदान अधिकारियों के क्या कार्य होते है ? पूरी जानकारी हिंदी में देखें। पीठासीन और मतदान अधिकारी -1,2,3 के मत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी देखें (Hindi Me)



Hello फ्रेंड्स आज के इस आर्टिकल में एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे और यह विषय निर्वाचन से सम्बंधित है। जी हाँ फ्रेंड्स आज का यह पोस्ट उन सभी कर्मचारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जिनकी ड्यूटी मतदान करने के लिए लगता है। यदि आपकी ड्यूटी भी मतदान करने के लिए मतदान अधिकारी के रूप में लगी है तो आपको ये पूरी जानकारी अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए।
त्रिस्तरीय निर्वाचन प्रक्रिया में मतदान अधिकारीयों के कार्य के बारे में बताने से  पहले आपको मतदान और निर्वाचन के बारे में बताना भी जरुरी है। निर्वाचन एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसके द्वारा पुरे देश में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपने देश ,राज्य ,नगर और गॉव के लिए सरकार  चुनते है।
मतदान प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और इस अधिकार का प्रयोग सभी को करना चाहिए। क्योंकि हम अपने अमूल्य मत (वोट) से एक सशक्त और मजबूत देश का भविष्य तय करते है। और एक जिम्मेदार मतदाता के रूप में अपने देश हिट में एक जिम्मेदार व्यक्ति को चुनना भी हमारा कर्तव्य होता है।
मतदान अधिकारी 
 


मतदान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और सफलता पूर्वक संपन्न कराने के लिए मतदान अधिकारीयों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन या मतदान को संपन्न कराने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति मतदान अधिकारी के रूप में किया जाता है।
मतदान की प्रक्रिया में अलग अलग कार्यों के लिए अलग अलग अधिकरी नियुक्त किये जाते है। इन्ही अधिकारीयों में एक मतदान दल के अधिकारी भी होते है जो अपने विवेक और दक्षता से निर्वाचन  जैसे महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न कराते है।
सामान्य निर्वाचन प्रक्रिया में मतदान दल में चार लोगों की नियुक्ति की जाती है और ये चार लोग मिलकर एक मतदान दल के रूप में अपने कार्य का निर्वहन करते है। और इस महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न कराने में अपना योगदान देते है। मतदान दल में शामिल चार अधिकारीयों का विवरण इस प्रकार है –


1-पीठासीन अधिकारी 
2-मतदान अधिकारी क्रमांक -01 
3-मतदान अधिकारी क्रमांक -02 
4-मतदान अधिकारी क्रमांक -03  
मतदान अधिकारियों के कार्य 
मतदान कार्य को संपन्न कराने वाले सबसे महत्वपूर्ण कड़ी मतदान दल में नियुक्त मतदान अधिकारी होते है। इन मतदान अधिकारीयों के महत्वपूर्ण कार्य होते है। सभी मतदान अधिकारीयों को अलग अलग कार्य दिया गया है जिसका विवरण आपको नीचे बताया  रहा है।
पीठासीन अधिकारी के कार्य 


सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया में पीठासीन अधिकारी का कार्य महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अपने दल का प्रतिनिधित्व पीठासीन अधिकारी द्वारा किया जाता है। मतदान केंद्र में पीठासीन अधिकारी प्रमुख अधिकारी के रूप में नियुक्त  होता है।
पीठसीन अधिकारी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य और अधिकार नीचे बिंदुवार दिया गया है
> मतदान दल गठित होने के बाद पुरे दल का प्रतिनिधित्व करना। अपने दल के सभी सदस्यों से संपर्क स्थापित करना।और सभी से तालमेल बनाना।
>मतदान केंद्र पहुँचने पर सभी आवश्यक तैयारी का जायजा लेना।
>मतदान के पूर्व की तैयारी के बारे में अपने दल के साथ मिलकर चर्चा करना।
>निर्वाचन कार्य को सुव्यस्थित और सफलता पूर्वक सम्पन करने के लिए अपने अधिकार और शक्ति का उपयोग करना।
>मतदान के दौरानसभी मतदान अधियकारी ,मतदान अभिकर्ता और मतदाता पर नियमित निरिक्षण करते रहना।
मतदान अधिकारी क्रमांक-01 के कार्य 
 


मतदान अधिकारी क्रमांक -01 मतदाता सूचि के चिन्हित प्रति का प्रभारी होता है। पीठासीन अधिकारी का विशेष सहयोगी होता है। पीठसीन अधिकारी के अनुपस्थिति में उसके कार्य का निर्वहन भी मतदान अधिकारी क्रमांक -01 को करना होता है। उनका कार्य इस प्रकार है
> मतदान केंद्र में मतदाता के प्रवेश करने पर उससे नाम और वार्ड क्रमांक पूछकर मतदाता सूचि में उसका नाम खोजना।
> मतदाता  का नाम मिल जाने पर जोर से उसका नाम उच्चारण करना और पहचान स्थापित होने के बाद मतदाता सूचि में उसके नाम को रेखांकित करना।
>यदि मतदाता महिला हो तो उसके नाम को रेखांकित करने के साथ सही का निशान भी लगाना।
> इसके बाद मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी के नाख़ून की जड़ के पास अमित स्याही का निशान लगाना।
>यदि मतदाता का बाएं हाथ की तर्जनी न हो तो बाएं हाथ की किसी अन्य ऊँगली पर अमित स्याही लगाना। यदि बाएं हाथ की कोई भी उंगली न हो तो दाएं हाथ की तर्जनी पर स्याही लगाना। यदि दोनों हाथ की कोई भी उंगली न हो तो बाएं हाथ के सिरे पर अमित स्याही लगाना।
>उक्त पूरी प्रक्रिया पूरा हो जाने के बाद मतदाता को मतदान अधिकारी क्रमांक -02 के पास भेजना।
मतदान अधिकारी क्रमांक -02 के कार्य 
 


पंचायत चुनाव में मतदान अधिकारी क्रमांक -02 मतपत्र का अधिकारी होता है होता है। यदि पंचायत चुनाव की बात करें तो मतदान अधिकारी क्रमांक -02 पंच और सरपंच पद के मतपत्र का प्रभारी होता है। पंच पद का मतपत्र सफ़ेद और सरपंच पद का मतपत्र नीला रंग का होगा।
>मतदान अधिकारी क्रमांक -02 को यह सावधानी भी रखनी है की मतदाता को पंच पद के लिए उसी वार्ड का मतपत्र जारी करें जिस वार्ड में मतदाता का नाम अंकित हो।
>कार्य को सरल और सुगम बनाने की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए मतदान अधिकारी क्रमांक -02 को सभी वार्डों के क्रमांक लिखकर टेबल में चिपका लेना चाहिए और मतपत्र को क्रम से वार्डवार व्यवस्थित कर लेना चाहिए।
> मतदाता सूचि में अंकित मतदाता के अनुक्रमांक को मतपत्र के प्रतिपर्ण में दर्ज करना और प्रतिपर्ण में मतदाता का हस्ताक्षर या अंगूठा का निशान लगवाना।
>मतपत्र जारी करते समय मतदान अधिकारी क्रमांक -02 मतदाता के नाम के सामने सही का निशान भी लगाएगा।
>.यदि कोई मतदाता प्रतिपर्ण पर हस्ताक्षर करने या अंगूठा लगाने से मना करता है तो उसे मतपत्र जारी नहीं किया जाये।
> हस्ताक्षर की प्रक्रिया पूरा हो जाने के बाद मतदान अधिकारी क्रमांक -02 द्वारा  ,मतदाता को पांच और सरपंच पद का मतपत्र मोड़कर दिया जायेगा और साथ में मत अंकित करने के लिए घूमते हुए तीरों वाली रबर की मोहर स्याही लगाकर दिया जायेगा।
> मतदान अधिकारी क्रमांक -02 यहाँ पर एक और महत्वपूर्ण कार्य करेगा -वह कार्य है कि मतदाता को बताना की वः पहले मतदान कक्ष में जाकर मत अंकित करें और मतपत्र को मतपेटी में डाले।
> मतदाता को मत डालने के बाद मतदान अधिकारी क्रमांक -03 के पास भेजना।
मतदान अधिकारी क्रमांक -03 के कार्य 
 


>मतदान अधिकारी क्रमांक -03 जनपद पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पद के मतपत्र का प्रभारी होता है। इनका कार्य भी मतदान अधिकारी क्रमांक -02 के समान ही है।
>जनपद सदस्य का मतपत्र पीले रंग का और जिला पंचायत सदस्य का मतपत्र गुलाबी  होगा।
> मतदान अधिकारी क्रमांक -03 प्रत्येक मतदाता से मतपत्र के प्रतिपर्ण में मतदाता सूचि का अनुक्रमांक अंकित करके हस्ताक्षर या अंगूठा का निशान लगवायेगा और मतपत्र जारी करेगा। और घूमते तीर के निशान वाले रबर का मोर स्याही लगाकर भी दें।
> यदि कोई मतदाता हस्ताक्षर या अंगूठा का निशान लगाने से मना करता है तो उसे मतपत्र जारी नहीं करना है इसका भी ध्यान मतदान अधिकारी -०३ को रखना है।
>मतपत्र को पहले खड़ा और बाद में आड़ा मोड़ा जाना चाहिए उसके बाद दोनों भागों को अलग करने वाले छायांकित करने वाले भाग को मोड़ना चाहिए।
>अब मतपत्र को पुनः खोलकर मतदाता को दिया जाना चाहिए।
> मतदान अधिकारी क्रमांक -03 , मतदाता को समझा दें कि मतपत्र में अपना मत अंकित कर मतपेटी में दोनों मतपत्र को लेकर डाले।
मतदान अधिकारी क्रमांक -04 के कार्य 


मतदान अधिकारी क्रमांक -04 का  कार्य अन्य मतदान अधिकारीयों से अलग जरूर होता है लेकिन इनका भी कार्य महत्वपूर्ण है। ये मतपेटी पर शुरू से अंत तक नजर रखेंगे और मतदाताओं द्वारा डाले जाने वाले मतपत्र को पेटी भर जाने पर स्केल की सहायता से दबाना है जिससे आगे मतपत्र को आसानी से डाला जा सके।मतदान अधिकारी क्रमांक -04 को सभी मतदाताओं पर भी नजर रखना है और देखना है कि सभी मतदाता चारो मतपत्र को मतपेटी में डाल रहे है की नहीं।

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