फाइलेरिया (हाथीपाँव ) और एल्बेंडाजॉल (कृमि ) की गोली स्कूल में बच्चों को कब और कैसे खिलाएं। Filaria aur Albendazole Tablet School me Kab Aur Kaise Khilaye ? पूरी जानकारी यहाँ देखें :
राष्ट्रिय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम दिनांक 24.02.2020 से 29.02.2020 तक आयोजित किया गया है जिसमे पुरे देशभर में इसे एक मुहीम चलाकर सफलतापूर्वक संपन्न कराया जायेगा। फ्रेंड्स आज के आर्टिकल में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी आपसे साझा करने वाले है ,आपको ये जानकारी शुरू से अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए।
आज का यह आर्टिकल सभी व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है और सभी को इसके बारे में जरूर जानना चाहिए। फ्रेंड्स आज हम एक ऐसी बीमारी के बारे में जानकारी बताने वाले है जो लाइलाज है। कहने का मतलब यह है कि यदि यह बीमारी किसी व्यक्ति को हो गया तो उसका इलाज संभव नहीं है। इस बीमारी की केवल रोकथाम किया जा सकता है ,अर्थात इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है।
फाइलेरिया(फाइलेरिया) एक ऐसी बीमारी है जिसके हो जाने के बाद उसका कोई इलाज नहीं है इसलिए ऐसी जागरूकता की आवश्यकता है जिससे ये बीमारी लोगों में फैलने या होने से रुक जाये। तो फ्रेंड्स आज विशेष रूप से हम फाइलेरिया के बारे में ही चर्चा करेंगे और इसके साथ ही कृमि के लिए खिलाये जाने वाली गोली एल्बेंडाजॉल के बारे में बताएँगे।
फ्रेंड्स आज का यह आर्टिकल शिक्षकों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता ,मितानीन और शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सभी कर्मचारी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्कूल और आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को फाइलेरिया और अल्बेंडाजोल टेबलेट खिलाने की जिम्मेदारी शिक्षकों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता ,मितानीन और स्वास्थ्यविभाग के कर्मचारियों को सौपी गयी है।
फाइलेरिया(हाथीपाँव) क्या है ? यह कैसे फैलती है ?
फाइलेरिया (हाथीपांव) एक खतरनाक बीमारी है जो लाइलाज है इसका केवल रोकथाम किया जा सकता है। बीमारी के हो जाने के बाद इसका उपचार या पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है। चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते है।
भारत में लगभग 60 करोड़ की जनसँख्या इस रोग से प्रभावित क्षेत्र में रहती है। छग में लगभग 2 करोड़ 15 लाख की जनसँख्या 16 जिलों के प्रभावित क्षेत्र में है। यह रोग सामान्यतः गरीबी अवस्था में जीवन यापन करने वाले लोगों में प्रचुर मात्रा में मौजूद पाया गया है तथा इस रोग के कारण कार्यक्षमता प्रभावित होने से रोगी की आर्थिक स्थिति और भी ख़राब होते जाती है।
कैसे और कहाँ से होती है बीमारी ?
यह बीमारी एक धागे के समान लम्बे परजीवी के कारण होता है जो लसिका तंत्र को अवरोध करता है। वयस्क परजीवी 4-6 वर्षों तक मनुष्य में रहते हुए लाखों छोटे -छोटे परजीवियों (Micro filarie ) को रक्त संचार में फैलाती है।
परजीवी की मुख्यतः दो प्रजातियां होती है जो इस रोग को फैलाती है । पहली प्रजाति Wuchereia Bancrofti और दूसरी प्रजाति Brugia Malayi है। इन प्रजातियों से ही फाइलेरिया (हाथीपांव ) बीमारी होती है। Wuchereia Bancrofti -मादा क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर द्वारा तथा Brugia Malayi -मानसोनाई मच्छरों द्वारा फैलता है।
क्यूलेक्स मच्छर गंदे पानी की श्रोतों में तथा मानसोनाई मच्छर जलीय वनस्पत्ति युक्त पानी के श्रोतों में पनपती है। अगर सीधे तौर पर बात करें तो इस बिमारी की उत्पत्ति गंदे पानी से होती है। हमें अपने आसपास पानी को साफ सफाई से रखनी चाहिए।
राष्ट्रिय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को राष्ट्र व्यापी बनाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है इसके लिए फाइलेरिया उन्मूलन सप्ताह के रूप में 24 फरवरी से 29 फरवरी का समय निर्धारित किया गया है। चलिए आपको तिथिवार और दवाई खिलाये जाने वाले व्यक्ति और स्थान की जानकारी बताते है।
तिथिवार दवा सेवन स्थान और सेवन करने वाले व्यरक्ति की जानकारी यहाँ देखें
यदि आप शिक्षक ,आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता ,मितानिन और स्वास्थ्य कर्मचारी या सम्बंधित है तो नीचे बताये गए जानकारी को सावधानीपूर्वक और अच्छे से पढ़ें :-
- 👉 1 से 5 वर्ष बच्चे जो आंगनबाड़ी में पंजीकृत है - इन बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में 24.02.2020 को दवा का सेवन कराया जायेगा।
- 👉 1 से 5 वर्ष बच्चे जो आंगनबाड़ी में पंजीकृत नहीं है - इन बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और मितानिनों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में 24.02.2020 को दवा का सेवन कराया जायेगा।
- 👉 6 से 19 वर्ष के बच्चे/किशोर जो स्कूल में पंजीकृत नहीं है - इन बच्चों/किशोर को आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और मितानिनों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में 24.02.2020 को दवा का सेवन कराया जायेगा।
- 👉20 से अधिक उम्र वाले व्यक्ति -इन व्यक्तियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और मितानिनों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र में 24.02.2020 को दवा का सेवन कराया जायेगा।
- 👉 6 से 19 वर्ष के बच्चे/किशोर जो स्कूल में पंजीकृत है - इन बच्चों/किशोर को नामांकित स्कूल के शिक्षक द्वारा शासकीय स्कूलों ,अनुदान प्राप्त या तकनिकी संस्थानों में 24.02.2020 को दवा का सेवन कराया जायेगा।
- 👉2 वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चे /किशोर /वयस्क व्यक्ति - इन्हे समुदाय स्तर पर मितानिनों /आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता या अन्य सम्बंधित कर्मचारी द्वारा 25.02.2020 और 26.02.2020 को दवाई का सेवन कराया जायेगा।
- 👉2 वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चे /किशोर /वयस्क व्यक्ति जो निर्धारित तीन दिवस के भीतर दवा सेवन नहीं किये है उन्हें भी समुदाय स्तर में मितानिनों /आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता या अन्य सम्बंधित कर्मचारी द्वारा 27 .02.2020 और 29 .02.2020 को दवाई का सेवन कराया जायेगा।
उम्रवार दवा का खुराक - 1 से 19 वर्ष और 20 वर्ष से ऊपर को कितनी गोली खिलाएं यहाँ देखें
सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान 1 से 2 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को एल्बेंडाजॉल की गोली तथा 2 वर्ष से अधिक आयु वर्ग को उम्र अनुसार डी.ई.सी. एवं एल्बेंडाजॉल गोली खिलाई जाएगी। नीचे बताये अनुसार ही आपको बच्चों को सावधानीपूर्वक गोली का सेवन अपने सामने कराना है। पूरी जानकारी यहाँ देखें 👇
(1) 0-1 वर्ष आयु समूह -इस आयु समूह के बच्चों को डी.ई.सी. और एल्बेंडाजॉल की गोली नहीं खिलाना है।
(2) 1-2 वर्ष आयु समूह के बच्चों को डी.ई.सी.की गोली नहीं खिलाना है और एल्बेंडाजॉल की आधी गोली (1/2) (200 मि.ग्रा) खिलानी है।
(3) 2-5 वर्ष आयु समूह के बच्चों को डी.ई.सी.की एक (1) गोली (100 मि.ग्रा) और एल्बेंडाजॉल की एक (1) गोली (400 मि.ग्रा) खिलानी है।
(4) 6-14 वर्ष आयु समूह के बच्चों को डी.ई.सी.की दो (2) गोली (200 मि.ग्रा) और एल्बेंडाजॉल की एक (1) गोली (400 मि.ग्रा) खिलानी है।
(5) 15-19 वर्ष आयु समूह के बच्चों को डी.ई.सी.की तीन (3) गोली (300 मि.ग्रा) और एल्बेंडाजॉल की एक (1) गोली (400 मि.ग्रा) खिलानी है।
(6) 20 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग को डी.ई.सी.की तीन (3 ) गोली (300 मि.ग्रा) और एल्बेंडाजॉल की एक (1) गोली (400 मि.ग्रा) खिलानी है।
👉 उम्रवार दवा खिलाने की जानकारी यहाँ से डाऊनलोड करें
खुराक के बारे में ऐसे समझें
फाइलेरिया और एल्बेंडाजॉल गोली खिलने के लिए ऊपर उम्र के अनुसार खुराक के बारे में बताया गया है। साथ ही ये भी बताया गया है कि किस उम्र को कितना मि.ग्रा दवा देने आवश्यकता है। ये देखें उसके मात्रा के बारे में -
डी.ई.सी. -1 गोली =100 मि.ग्रा।
2 गोली =200 मि.ग्रा।
3 गोली =300 मि.ग्रा।
एल्बेंडाजॉल- 1 गोली =400 मि.ग्रा।
कक्षा अनुसार गोली की संख्या
👉कक्षा 1 से 8 तक (6 से 14 वर्ष) के बच्चों को कुल तीन गोली खिलानी है जिसमे 2 गोली डी.ई.सी. की और एक गोली एल्बेंडाजॉल की रहेगी।
👉कक्षा 9 से 12 तक (15 से 19 वर्ष) के बच्चों को कुल चार गोली खिलानी है जिसमे 3 गोली डी.ई.सी. की और एक गोली एल्बेंडाजॉल की रहेगी।
दवा खाने के बाद दिखने वाले प्रभाव /दुष्प्रभाव /विकार
दवा खाने के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते है। गोली खाने के बाद जो थोड़े बहुत विकार आते है वह व्यक्ति के शरीर में उपस्थित माइक्रोफाइलेरिया के मरने के कारण होने वाली रासायनिक क्रिया के कारण होती है। दवा के प्रभाव के कारण जो विकार आते है उसका लक्षण सर दर्द होना ,शरीर में दर्द होना ,सर में हल्कापन लगना ,सुस्ती लगना ,उलटी अथवा सांस सम्बन्धी थोड़ी तकलीफ आदि के रूप में परिलक्षित हो सकते है।
विकारों का प्रबंधन कैसे करें
वैसे तो गोली खाने के बाद कोई विकार नहीं होते है और यदि हो भी गया तो उसका क्या कारण है ऊपर बताया गया है। चलिए यदि कोई विकार उत्पन्न हो जाता है तो उसे किस प्रकार दूर करें उसका प्रबधन कैसे करें -
उत्पन्न विकारो का केवल लाक्षणिक इलाज होता है और इसमें घबराने वाली या शारीरिक अस्वस्थता या गंभीरता वाली कोई बात नहीं होती है। सिर दर्द ,बदन दर्द होने पर यदि यह दर्द सहनीय है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। 4-6 घंटे में यह स्वयं ही ठीक हो जाएगी।
यदि शरीर में दर्द असहनीय स्थिति में हो तो पैरासिटामॉल या अन्य कोई भी सामान्य दर्द निवारक दवा लिया जा सकता है। सिर में हल्कापन या सुस्ती लगने पर 2 से 4 घंटे की नींद लेने पर इससे निजात मिल जाती है। उलटी या मितली लगने पर कोई भी उल्टीरोधी गोली की एक खुराक से ठीक हो जाती है।
डी.ई.सी. और एल्बेंडाजॉल दवाई खिलाने में क्या सावधानी रखें ? यहाँ देखें
1👉 सबसे पहली सावधानी जो आपको रखनी है वह ये है कि दवा खाली पेट बिलकुल भी नहीं लेनी है।
2👉 एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों ,गर्भवती स्त्रियों ,अतिवृद्ध व्यक्तियों ,लम्बे समय से अतिबिमार व्यक्तियों को दवाई का सेवन नहीं कराना है।
3👉दवा वितरण के समय होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में खाने वाले को अवगत अवश्य कराये और साथ में ये भी बताएं की इस प्रभाव के निदान के लिए शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त औषधि प्राप्त की जा सकती है।
4👉 दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को दवाई चूर्ण करके या पानी में घोलकर खिलानी चाहिए।
5👉 उल्टी या जी मिचलने पर छायादार स्थान पर लिटाना चाहिए।
6👉 बुखार या अन्य कुछ परेशानी होने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह ली जानी चाहिए। या 104 नंबर से भी सहायता लिया जा सकता है।
7👉 किसी व्यक्ति /बच्चे में माइक्रोफाइलेरिया सकारात्मक पाए जाने पर डॉक्टर से सलाह लेकर मरीज को 6 mg /KG Body Weight के हिसाब से 12 दिन तक डी.ई.सी. गोली का उपचार दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष :- आज के इस आर्टिकल में राष्ट्रिय स्तर पर चलने वाले कार्यक्रम राष्ट्रिय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में बताया गया है। साथ ही इस कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों को दिए गए गोली को कब और कितने मात्रा में खिलाना है ये भी बताया गया है। इसके साथ ही इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को भी बताया गया है।
फ्रेंड्स उम्मीद है ये महत्वपूर्ण जानकारी आपको उपयोगी जरूर लगी होगी। इस जानकारी को अन्य लोगों को शेयर करके जागरूकता फ़ैलाने में अपना योगदान जरूर दें और भारत को फाइलेरिया मुक्त राष्ट्र बनायें।। धन्यवाद।।
👉 उम्रवार दवा खिलाने की जानकारी यहाँ से डाऊनलोड करें
खुराक के बारे में ऐसे समझें
फाइलेरिया और एल्बेंडाजॉल गोली खिलने के लिए ऊपर उम्र के अनुसार खुराक के बारे में बताया गया है। साथ ही ये भी बताया गया है कि किस उम्र को कितना मि.ग्रा दवा देने आवश्यकता है। ये देखें उसके मात्रा के बारे में -
डी.ई.सी. -1 गोली =100 मि.ग्रा।
2 गोली =200 मि.ग्रा।
3 गोली =300 मि.ग्रा।
एल्बेंडाजॉल- 1 गोली =400 मि.ग्रा।
कक्षा अनुसार गोली की संख्या
👉कक्षा 1 से 8 तक (6 से 14 वर्ष) के बच्चों को कुल तीन गोली खिलानी है जिसमे 2 गोली डी.ई.सी. की और एक गोली एल्बेंडाजॉल की रहेगी।
👉कक्षा 9 से 12 तक (15 से 19 वर्ष) के बच्चों को कुल चार गोली खिलानी है जिसमे 3 गोली डी.ई.सी. की और एक गोली एल्बेंडाजॉल की रहेगी।
दवा खाने के बाद दिखने वाले प्रभाव /दुष्प्रभाव /विकार
दवा खाने के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते है। गोली खाने के बाद जो थोड़े बहुत विकार आते है वह व्यक्ति के शरीर में उपस्थित माइक्रोफाइलेरिया के मरने के कारण होने वाली रासायनिक क्रिया के कारण होती है। दवा के प्रभाव के कारण जो विकार आते है उसका लक्षण सर दर्द होना ,शरीर में दर्द होना ,सर में हल्कापन लगना ,सुस्ती लगना ,उलटी अथवा सांस सम्बन्धी थोड़ी तकलीफ आदि के रूप में परिलक्षित हो सकते है।
विकारों का प्रबंधन कैसे करें
वैसे तो गोली खाने के बाद कोई विकार नहीं होते है और यदि हो भी गया तो उसका क्या कारण है ऊपर बताया गया है। चलिए यदि कोई विकार उत्पन्न हो जाता है तो उसे किस प्रकार दूर करें उसका प्रबधन कैसे करें -
उत्पन्न विकारो का केवल लाक्षणिक इलाज होता है और इसमें घबराने वाली या शारीरिक अस्वस्थता या गंभीरता वाली कोई बात नहीं होती है। सिर दर्द ,बदन दर्द होने पर यदि यह दर्द सहनीय है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। 4-6 घंटे में यह स्वयं ही ठीक हो जाएगी।
यदि शरीर में दर्द असहनीय स्थिति में हो तो पैरासिटामॉल या अन्य कोई भी सामान्य दर्द निवारक दवा लिया जा सकता है। सिर में हल्कापन या सुस्ती लगने पर 2 से 4 घंटे की नींद लेने पर इससे निजात मिल जाती है। उलटी या मितली लगने पर कोई भी उल्टीरोधी गोली की एक खुराक से ठीक हो जाती है।
डी.ई.सी. और एल्बेंडाजॉल दवाई खिलाने में क्या सावधानी रखें ? यहाँ देखें
1👉 सबसे पहली सावधानी जो आपको रखनी है वह ये है कि दवा खाली पेट बिलकुल भी नहीं लेनी है।
2👉 एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों ,गर्भवती स्त्रियों ,अतिवृद्ध व्यक्तियों ,लम्बे समय से अतिबिमार व्यक्तियों को दवाई का सेवन नहीं कराना है।
3👉दवा वितरण के समय होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में खाने वाले को अवगत अवश्य कराये और साथ में ये भी बताएं की इस प्रभाव के निदान के लिए शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में मुफ्त औषधि प्राप्त की जा सकती है।
4👉 दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को दवाई चूर्ण करके या पानी में घोलकर खिलानी चाहिए।
5👉 उल्टी या जी मिचलने पर छायादार स्थान पर लिटाना चाहिए।
6👉 बुखार या अन्य कुछ परेशानी होने पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता से सलाह ली जानी चाहिए। या 104 नंबर से भी सहायता लिया जा सकता है।
7👉 किसी व्यक्ति /बच्चे में माइक्रोफाइलेरिया सकारात्मक पाए जाने पर डॉक्टर से सलाह लेकर मरीज को 6 mg /KG Body Weight के हिसाब से 12 दिन तक डी.ई.सी. गोली का उपचार दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष :- आज के इस आर्टिकल में राष्ट्रिय स्तर पर चलने वाले कार्यक्रम राष्ट्रिय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में बताया गया है। साथ ही इस कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों को दिए गए गोली को कब और कितने मात्रा में खिलाना है ये भी बताया गया है। इसके साथ ही इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को भी बताया गया है।
फ्रेंड्स उम्मीद है ये महत्वपूर्ण जानकारी आपको उपयोगी जरूर लगी होगी। इस जानकारी को अन्य लोगों को शेयर करके जागरूकता फ़ैलाने में अपना योगदान जरूर दें और भारत को फाइलेरिया मुक्त राष्ट्र बनायें।। धन्यवाद।।
2 Comments
शुगर मरीज जो 08 बर्षों से पीडित है और इंसुलिन पर निर्भर हैं उसे भी फाईलेरिया की गोली खिलाया जा सकता है कि नही?
ReplyDeleteSIR KISI BHI MARIJ KO JO PAHLE SE KOI MEDICINE LE RAHA HAI UNKO NAHI KHILANA HAI .ISKE LIYE AAP DOCTOR KA SALAH BHI LE SAKTE HAI .
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